हालांकि हमारे विवाह को कुछ समय हो चला था, हमारी कोई संतान नहीं थी। मेरे पति अपना इलाज अवश्य करा रहे थे, पर पहली बार हमें स्पष्ट रूप से सुधार गुरुजी से जनवरी 1994 में मिलने के बाद ही नज़र आया। मेरे पति की अवस्था में 20 प्रतिशत सुधार आया था।
कुछ समय बाद गुरुजी ने हमें संतान होने का आशीर्वाद दिया मगर हमें सावाधान भी कराया कि मेरी गर्भाशय की नलियों में कुछ समस्या आएगी। परीक्षण करने पर सब परिणाम सामान्य आये। अगले वर्ष मैं गर्भवती हो गयी। गुरुजी ने मुझे जो कहा था, उसे ध्यान में रखते हुए मैंने चिकित्सकों से निवेदन कर अपने सब परीक्षण कराये। अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों ने गर्भाशय में कोई असामान्यता नहीं देखी। परन्तु कुछ दिन बाद उन्होनें पाया कि बच्चे के विकास की गति बहुत धीरे थी और DNC की सलाह दी। DNC के दस दिन बाद मुझे पेट में बहुत दर्द हुआ। मुझे स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया जहाँ पता लगा कि मुझे टूब्यलर प्रेग्नन्सी है और एक नली फट चुकी थी और दूसरी में छेद हो गया था।
फिर गुरुजी की कृपा से 2000 में मैं फिर से गर्भवती हुई - विवाह के छ: वर्ष बाद - और एक सुन्दर बच्ची को जन्म दिया। मुझे सुबह 5 बजे लेबर पेन्स शुरू हो गए पर दोपहर बारह बजे तक भी बच्ची सीधी नहीं हुई थी। यह एक सिज़ेरीअन केस होने वाला था। तभी यह भी पता लगा कि अम्बिलिकल कॉर्ड बच्चे के गले में फंसा हुआ था। हमनें गुरुजी से पूछा तो उन्होनें हमें इंतज़ार करने को कहा। रात नौ बजे बच्चे ने पलटी ली और मेरी नॉर्मल डिलिवरी हुई। गुरुजी की कृपा से सब ठीक-ठाक हो गया। यह चमत्कार सिर्फ़ गुरुजी ही कर सकते थे और इसके लिए मैं उनकी हार्दिक आभारी हूँ।
एक भक्त
जुलाई 2007