फरवरी 2008 में मुझे दिल का दौरा पड़ा। मुझे नॉएडा मेडिकल सेंटर में ऐडमिट किया गया। डिस्चार्ज होने के बाद मेरे एक दोस्त ने मुझे गुरुजी के बारे में बताया। उस समय, गुरुजी ग्रेटर कैलाश में थे। मैं गुरुजी का आशीर्वाद लेने वहाँ गया और मुझे उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तीन हफ्ते बाद मेरा ट्रेडमिल टेस्ट हुआ (टी एम टी या स्ट्रेस टेस्ट)। इस बार मैं मशीन पर लगभग 14 मिनट के लिए था, जो आश्चर्यजनक है। दिल के दौरे के बाद यह 6 मिनट से ज़्यादा कर पाना संभव नहीं है। चिकित्सक ने मेरे पुराने और अभी के ई सी जी नतीजों की तुलना की और इतना ज़्यादा सुधार देखकर वह हैरान था। जब मैं गुरुजी के दर्शन के लिए मंदिर गया, वह बोले, "मैंने तुम्हें धन्य कर दिया और चिकित्सकों को फेल कर दिया। "
मैं बहुत सालों से उच्च रक्त चाप से पीड़ित था। गुरुजी ने मेरा उपचार किया - एक बड़े ही अनोखे ढंग से। उन्होंने मुझे कहा कि मैं रोज़ दो पेग व्हिस्की के लूँ, और मेरा रक्त चाप नियंत्रण में रहेगा। उस दिन से मैंने गुरुजी के नुस्खे का पालन किया है, और मेरा रक्त चाप सामान्य रहा है।
अक्टूबर 1998 में, एक रात मुझे स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द हुआ। सामान्य तरीके से कुछ करने के बजाय, मैंने गुरुजी से प्रार्थना की। अविश्वसनीय है कि मेरा दर्द बस दो ही मिनटों में गायब हो गया।
मेरे परिवार में मैं अकेला नहीं हूँ जिस पर गुरुजी की कृपा हुई। समय-समय पर मेरे परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता रहा है। एक बार मेरी बड़ी बेटी को भीषण पेट का दर्द हुआ। कोई चिकित्सक पता नहीं लगा पा रहा था कि उसे हुआ क्या था; वह बिस्तर से उठ तक नहीं पा रही थी और 30 दिनों तक बहुत दर्द में रही। गुरुजी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, वह दर्द जो इतनी दवाइयाँ लेने के बावजूद कम नहीं हुआ था, बस गायब हो गया और मेरी बेटी ठीक हो गई।
मेरी बेटी एयरलाइन्स के लिए काम करना चाहती थी। शुरू में तो वह अस्वीकृत हुई, परन्तु आखरी क्षण में, गुरुजी के आशीर्वाद से, वह ट्रेनिंग के लिए भारत से लंदन गई। वहाँ उसका फोन पर इंटरव्यू लिया गया और तज़ाखिस्तान एयरलाइन्स के लिए वह चुनी गई। और यह सब हुआ बस 48 घंटों में - यह वाकई में आश्चर्यजनक था।
गुरुजी ने रातों-रात मेरी पत्नी की शियाटिका की तकलीफ दूर कर दी, और मेरी बेटी की साइनस की तकलीफ भी।
उनका आशीर्वाद सिर्फ मेरे परिवार तक ही सीमित नहीं था। मेरे एक मरीज़ को भी गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। श्रीमती रविन्दर सिंह मेरे पास दाँत संबंधी उपचार के लिए आईं थीं। परन्तु पिछले चार सालों से उनकी रक्त शर्करा काउंट 300-400 थी और वह इन्सुलिन पर थीं।
मैंने उन्हें गुरुजी की एक तस्वीर पर्स में रखने के लिए दी और उन्हें गुरुजी से प्रार्थना करने के लिए कहा। फिर दाँत निकलवाने से पहले मैंने उनको इंतज़ार करने को कहा जब तक उनकी रक्त शर्करा कम नहीं हो जाती। तीन दिन बाद वह मेरे क्लिनिक इस बड़ी खबर के साथ आईं कि पिछले कुछ दिनों में उनकी रक्त शर्करा चमत्कारी ढंग से 135 तक नीचे आ गई थी। मैंने उन्हें गुरुजी का प्रसाद दिया और गुरुजी की तस्वीर की पूजा करने को कहा, और जब उनकी तबियत बेहतर हो जाए तो गुरुजी के दर्शन के लिए आने को कहा।
डॉ डैंग, एक भक्त
अप्रैल 2008