गौरव मारवाहा दिल्ली के सदर बाज़ार में व्यवसाय करते थे परन्तु उसमें कठिनाइयाँ आ रहीं थीं। उनके एक घनिष्ट सम्बन्धी ने उनको गुरुजी के दर्शन करने का सुझाव दिया। वह अपनी पत्नी के साथ मोटर साईकल पर गुरुजी के पास आये। उनकी पत्नी, मोटर साईकल के पीछे बैठे हुए, गुरुजी से प्रार्थना करती थी कि उनको और आरामदायक वाहन मिल जाये।
शीघ्र ही उनका व्यवसाय चल पड़ा और एक मास में ही उस दम्पति ने कार ले ली। उन्हें लगा कि उनका भाग्य पलट गया। एक पुराने अनुयायी ने इसमें गुरुजी का हस्तक्षेप होने की बात करी तो उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया। गौरव की पत्नी ने सोचा कि वह तभी मानेगी जब गुरुजी उसको पहचान जाएंगे। जब वह अगली बार संगत में आये तो गुरुजी ने ऐसे ही वार्तालाप करते हुए कहा कि देखो जनकपुरी से कितने मुसलमान आ रहे हैं। फिर उन्होंने अपना वक्तव्य बदला और बोले कि वह यमुना पार के मुसलमानों की बात कर रहे हैं। गौरव की पत्नी जनकपुरी में रहती थी और गुरुजी के इस कथन के कुछ सप्ताह पश्चात् उन्होंने यमुना पार क्षेत्र में घर ले लिया। वह गर्भवती भी हो गयी।
दिन गुजरते गये और महिला गर्भ परीक्षण के लिए गयी। विशेषज्ञों ने गर्भ सम्बंधित समस्याओं से अवगत कराया और गर्भपात कराने का परामर्श दिया। भक्तों ने दम्पति को बताया कि वह गुरुजी पर आस्था बनाये रखें तो कोई अप्रिय घटना नहीं होगी। वह गुरुजी के पास आते रहे और अंततः उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई।
2005 में गुरुजी ने अपने जन्मदिवस के अवसर पर गौरव की पत्नी को बुलाया और कहा कि वह बहुत मोटी हो गयी है। वह मुस्कुरा कर चली गयी। गुरुजी के इस कथन के एक मास में ही बिना कोई व्यायाम किये या भोजन का प्रतिबन्ध करे हुए उसका वजन 15 किलो कम हो गया। दम्पति का पहली धारणा कि उन्होंने कार अकस्मात् ली थी गलत था। गुरुजी स्वयं कहते हैं कि संयोग से कुछ नहीं होता, चुनाव से ही कामना की पूर्ति संभव है; और ईश्वर होने के कारण गुरुजी चयन करते हैं।
गौरव मारवाहा, दिल्ली द्वारा कथित
जुलाई 2007