मैं बचपन से सुनता आया था कि जीवन में एक गुरु का होना बहुत आवश्यक है। और यह मुझे हमेशा सोचने पर मजबूर कर देता: मेरा गुरु कैसा होगा? मैं उन्हें पहचानूँगा कैसे? मुझे इन सवालों का जवाब गुरुजी के यहाँ पहुँचकर मिला।
मेरे प्रतिपालक, डॉ. डावर, जिनके अधीन मैं डॉक्टरेट कर रहा था और जिनके साथ मैं काम कर चुका था, मुझे गुरुजी के पास लेकर गए। वह मुझे और मेरे दो सहकर्मियों को जुलाई 2007 में छोटे मंदिर ले गए। मेरे पहले दर्शन बहुत सुहावने थे। मैंने शबद के साथ चाय प्रसाद और लंगर का आनंद उठाया। मुझे बाद में इस बात का एहसास हुआ कि वह गुरुजी थे, हमारे तारक, जिन्होंने हमें अपने पास बुलाया था, हमें वो खुशियाँ प्रदान करने के लिए जिनकी हमें इतनी चाह थी।
निधी, एक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल, के साथ मेरी शादी को चार साल हुए थे पर हमें कोई संतान नहीं थी। शादी के एक साल बाद हमने चिकित्सकों की सलाह ली थी। 2005 में हमें पता चला कि निधी को एंडोमेट्रिओसिस थी और फिर उसका ऑपरेशन हुआ।
पर उससे कोई लाभ नहीं हुआ। अल्ट्रासाउंड से पता चला कि उसे यह परेशानी दोबारा हो गई थी। यह हमारी परीक्षा की शुरुआत थी। चिकित्सकों को शंका थी कि मेरी पत्नी को बहुत परेशानियाँ थीं और मेरी पत्नी को असंख्य परीक्षण झेलने पड़े। उसे भारी मात्रा में दवाइयॉं दी गईं और उसे गॉल ब्लैडर में 5 एमएम की पथरी हो गई। हमने बहुत सारे वैकल्पिक उपचार भी किये जैसे आयुर्वेद और होमियोपैथी, पर कोई लाभ नहीं हुआ। अन्त में, ऑपरेशन के दो साल बाद, 2007 में, चिकित्सकों ने हमें कहा कि इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आइ वी एफ) ही एक विकल्प था।
यह वो साल था जब हमें गुरुजी के दर्शन हुए थे। मैं और मेरी पत्नी नवम्बर 2007 में पहली बार एम्पायर एस्टेट साथ गए। आइ वी एफ का दौर शुरू करने से ठीक पहले। हमारी इस समस्या के बारे में किसी को भी पता नहीं था। मैंने एम्पायर एस्टेट जाकर प्रार्थना की कि परिणाम सकारात्मक आए, पर दिसम्बर में जब आइ वी एफ का एक दौर खत्म हुआ तो परिणाम नकारात्मक आया। हम निराश हो गए।
मेरी पत्नी को बेहतर नौकरी मिली
यह वो समय था जब हमारे जीवन में गुरुजी का सही मायने में प्रवेश हुआ। हमें इस उदासी के साये से निकालने के लिए, वो नकारात्मक परिणाम आने के कुछ दिनों के अंदर ही मुझे पता चला कि मेरे थीसिस की सारी रेफरी रिपोर्ट मिल गई थीं। आइ आइ टी दिल्ली में मेरे सुपरवाइज़र मेरे परीक्षक के पास गए थे और मेरे थीसिस का प्रत्युत्तर जो 2 जनवरी 2008 को होना था उसके लिए उपस्थित होने के लिए मान गए थे, जबकि उन्हें एक हफ्ते से भी कम का समय दिया गया था। इसके बाद से, हम गुरुजी के दर्शन के लिए हर रविवार छोटे मंदिर जाने लगे।
गुरुजी के आशीर्वाद का पहला संकेत और हमने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव मार्च 2008 में देखे। अपने बॉस के द्वेष, काम का खराब वातावरण और प्रलोभन के अभाव के कारण से मेरी पत्नी अपनी नौकरी में खुश नहीं थी। हमारे निजी जीवन में समस्याओं के कारण से मेरे बार-बार दबाव डालने पर भी और अपने काम में बहुत निपुण होने पर भी वह दूसरी नौकरी के लिए कोशिश नहीं कर रही थी। अन्त में, फरवरी 2008 के अंत में उसने एक नौकरी के लिए कोशिश की और दस दिन के अत्यंत दुःखदायी इंतज़ार के बाद उसे वह नौकरी मिल गई। 15 अप्रैल 2008 को उसने एक वित्त-सम्बन्धी कंपनी के लिए काम करना शुरू किया। यद्यपि वो बहुत अनिश्चित थी, हालात कुछ ऐसे और इतनी तेज़ गति से हुए कि उसने यह निर्णय ले ही लिया। गुरुजी ने उसके लिए जो जगह चुनी वह उसे पसंद आई। अब उसे कोई परेशानी नहीं थी, वहाँ के काम का वातावरण तनाव-मुक्त था और उसका वेतन दुगुना हो गया।
श्रद्धा प्रबल होते ही मेरी पत्नी गर्भवती हुई
हमारे निस्संतान होने के फलस्वरूप गुरुजी ने हमें होम्योपैथिक डॉक्टर के पास वापस निर्देशित किया और मेरी पत्नी को प्रसाद भी दिया। यद्यपि मई 2008 में जो महासमाधि दिवस का आयोजन हुआ हम उसमें नहीं जा पाये, एक भक्त, श्री सिंगला, मेरी पत्नी के लिए थोड़ा लस्सी प्रसाद लेकर आये। अगले अल्ट्रासाउंड में एंडोमेट्रिओसिस और पित्त पथरी पूरी तरह से हट गए थे। यहाँ तक कि, जब हमने चिकित्सक को पित्त पथरी के बारे में बताया तो उसने अपने दिए हुए परचे कई बार देखे और बोला कि पथरी के लिए तो उसने कभी दवाई लिखी ही नहीं थी। और फिर भी पथरी गायब हो गई थी! फिर भी, फर्टिलाइज़ेशन को लेकर कोई ठोस परिणाम मिलने से अभी हम बहुत दूर थे।
यह सोचकर कि संभवतः थाइरोइड की समस्या भी हो सकती थी, हम एक और चिकित्सक के पास गए। लेकिन समस्या ओस्टेओमलेशिआ (हड्डियों का नर्म पड़ जाना) की निकली, जो कैल्शियम की कमी और पैराथाइरोइड की मात्रा अधिक होने से सम्बंधित है। मैं बहुत परेशान हो गया लेकिन निधी का गुरुजी में विश्वास पक्का था। गुरुजी ने हमारी प्रार्थना का जवाब दिया और एक बहुत अच्छे चिकित्सक के पास निर्देशित किया। कैल्शियम और कैल्शियम की नियमित खुराक से तीन महीनों में इस समस्या का उपचार हो गया।
इस के बाद, कई संदेशों और बड़े मंदिर में अपनी गद्दी पर दर्शन देकर, नवम्बर 2008 में गुरुजी ने हमें विशेष उपचारों की तरफ निर्देशित किया। साथ ही हमने अक्युपंक्चर भी कराया। फरवरी 2009 में निधी गर्भवती हुई।
गुरुजी ने हमें जो सौगात बख्शी उसके लिए मैं अपना आभार शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। हमारे लिए जो भी अच्छा होता है, गुरुजी हमेशा हमें वो देते रहे हैं।
गुरुजी ने कई बार और कई जगहों पर अपने उपस्थित होने का आभास कराया है। सपनों में दर्शन के द्वारा, उनकी सुगन्ध जो कभी भी हमें आ जाती है और ऐसे कई और भी उदाहरण हैं। जैसे कि, गुरुजी की कृपा से मेरा साला अपनी नौकरी बदल पाया--15 सालों की कोशिशों के बाद। गुरुजी ने हर कदम पर उसका मार्ग-दर्शन किया।
गुरुजी ने हमेशा हमारी रक्षा की है। मेरी यही प्रार्थना है कि वह हमेशा हमें अपनी शरण में रखें, अपने चरण कमलों के पास और हम पर और सारी संगत पर अपना आशीर्वाद बरसाते रहें।
गौरव और निधी सिंघल, गुरुजी के भक्त
जून 2010