साल 1984 में मुझे दिल का दौरा पड़ा था। एक साल बाद मैं लंदन, एक विश्व प्रख्यात चिकित्सक के पास गया। मेरी रक्तवाहिनी बंद हो गयी थीं और मेरी एंजियोग्राफी हुई। अगले दिन चिकित्सक मेरा बायपास करना चाहता था। मैंने उनसे कहा कि मैं भारत से लंदन ऑपरेशन कराने के बारे में सोच कर नहीं आया था बल्कि सिर्फ जांच के लिए आया था। मैंने चिकित्सक से यह भी कहा कि ऑपरेशन कराने से पहले मैं अपने बच्चों से मिलना चाहता था।
मैं भारत लौट आया। एक दिन मैं अपने एक दोस्त के साथ सैर कर रहा था जिसने मुझे गुरुजी के बारे में बताया और कहा कि मुझे उनके पास जाना चाहिए। मैं गुरुओं में नहीं मानता था लेकिन अपने दोस्त के दबाव देने पर मैं गुरुजी से मिलने गया। गुरुजी ने मुझे अमृत दिया और करीब एक घंटे के लिए मेरे सीने पर पान के पत्ते रखे। उन्होंने मुझे एक सप्ताह बाद और फिर चौदह दिनों बाद आने को कहा। मैं एक साल तक उनके पास जाता रहा।
इस दौरान मैं सोचा करता कि क्या गुरुजी मेरी मदद कर भी रहे थे। इसलिए अपनी एंजियोग्राफी के दो साल बाद, 1987 में, मैं दोबारा लंदन गया और दो हृदय रोग विशेषज्ञ से मिला। मैंने ट्रेडमिल स्ट्रेस टेस्ट (टी एम टी) कराया और उसके परिणाम जब 1985 में कराये गए परिणामों से मिलाये गए तो पाया गया कि वह बहुत अच्छे थे।
गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मैं उनके पास जाता रहा और कुछ सालों बाद फिर से परीक्षण कराने लंदन गया। एक और परीक्षण कराने के बाद चिकित्सकों ने मुझे कहा कि मुझे बायपास कराने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
तब से मेरी सेहत अच्छी रही है। मैं सिर्फ शाकाहारी भोजन करता हूँ। मुझे दिल का दौरा पड़े बीस साल से ज़्यादा हो चुके हैं और मैं बहुत अच्छा महसूस करता हूँ। मैं सीढ़ियाँ चढ़ सकता हूँ, सैर कर सकता हूँ और बहुत और कुछ कर सकता हूँ, बिना किसी परेशानी के।
हरबंस सिंह, एक व्यापारी
अगस्त 2008