13 मार्च 1999 को डाक्टरों ने मुझे नॉन-होदगकिंस लिम्फोमा, स्टेज-3 बी (गले का कैंसर) नामक रोग से ग्रसित घोषित कर दिया था। ये मेरा सौभाग्य था कि ठीक 9 दिन उपरांत ही चंडीगढ़ में रहने वाले एक भक्त के माध्यम से, मुझे गुरुजी का परिचय प्राप्त हुआ। मैं 22 मार्च को गुरुजी के पास आया और उसी दिन उनका आशिर्वाद प्राप्त किया। गुरुजी के दर्शन के अगले ही दिन मेरा बुखार और असहनीय वेदना मानो गायब हो गई, और मेरे स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार आने लगा। मेरा वज़न पुनः 8 किलो बढ़ गया और मैं सामान्य जीवन व्यतीत करने लग गया। मैं गुरुजी के पास प्रतिदिन जाने लगा।
राजीव गाँधी कैंसर संस्थान के सभी डॉक्टर आश्चर्यचकित थे, कि कैसे कुछ ही वक्त में कैंसर रोग के लक्षण गायब हो गए थे। जब मैंने उन्हें गुरुजी महाराज के बारे मैं बताया, तब न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर वेद ने गुरुजी के दर्शन किये और आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुझे मेरा जीवन वापस मिल गया था। मैं ऐसी हालत मैं था जहाँ कोई भी दवा मेरे ऊपर असर नहीं कर रही थी, और मैं जीने की उम्मीद खो चुका था। गुरुजी ने मुझे बिना दवाइयों के सिर्फ अपनी कृपा और प्रसाद से पूर्ण रूप से स्वस्थ कर दिया था।
कैप्टन एच. एस. चोपड़ा, एक भक्त
अगस्त 2008