एक महिला संगत की हालत बहुत खराब थी और उनकी सेहत बिगड़ती जा रही थी। एक रात वो अचानक बेचैनी महसूस करने लगीं। ऐसा लग रहा था जैसे उनके शरीर में से ज़ोर से और तीखे आवाज़ें आ रही थी। चिकित्सकों और नर्सों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उस महिला और उनके पति को गुरुजी में पूरा विश्वास था पर वे परेशान थे। वो महिला ठीक से बात नहीं कर पा रही थीं पर इशारे से उन्होंने अपने पति को गुरुजी की एक सफेद चोले में स्वरुप उनको देने को कहा और उस स्वरुप को अपने सीने पर रखा। और फिर, वो कहती हैं कि गुरुजी के निर्देश अनुसार, उनकी एक पीले चोले में स्वरुप अपने हृदय पर रखा।
तब तक किसी चिकित्सक को यह समझ नहीं आया था कि उन महिला का हृदय ठीक से काम नहीं कर रहा था। लेकिन गुरुजी उन महिला की रक्षा के लिए पहुँच गए थे। उन महिला को साँस लेने के साधन पर डाला गया; और उनके इको और ई सी जी टेस्ट कराये गए जिनसे पता चला कि उनका हृदय बहुत खराब हालत में था। ज़रूर गुरुजी ने ही चिकित्सकों का निर्देशन किया होगा क्योंकि जितने दिन वह महिला अस्पताल में रही थी, चिकित्सक उनका रोग-निर्णय ही नहीं कर पाए थे।
कुछ समय बाद वह अपने आप साँस ले पा रही थीं। और गुरुजी की कृपा से एक हफ्ते के अंदर वह डिस्चार्ज भी हो गईं। डिस्चार्ज से पहले उन महिला को एहसास हुआ कि गुरुजी की सफेद चोले में जो स्वरुप था वो मिल नहीं रहा था। उन्होंने लॉन्ड्री विभाग में भी पता किया पर वे भी कुछ नहीं जानते थे। वो महिला बहुत परेशान हो गईं पर घर तो उनको जाना ही था।
अगली सुबह जब वह उठीं तो उनको ऐसा लगा जैसे उनकी पीठ पर कुछ चिपका हुआ था। वह गुरुजी की स्वरुप था। गुरुजी की कृपा तो देखिए - अस्पताल में नर्सों ने उनके कपड़े बदले थे, घर आकर उन महिला ने अपने कपड़े बदले, फिर भी गुरुजी का स्वरुप किसी को नज़र नहीं आया था। अपनी संगत के साथ ऐसे रह कर गुरुजी ने ज़रूर उनका कल्याण किया होगा। गुरुजी हम सबसे प्यार करते हैं। हमें बस पूरे समर्पण के साथ उनके द्वार पर जाकर खटखटाना होता है और वे हमारी रक्षा के लिए पहुँच जाते हैं। लव यू, गुरुजी।
कामिनी कौशिक, एक भक्त
जुलाई 2015