मैं गुरुजी के पास 2009 में आई। परन्तु मुझे एक संदेह था कि जब गुरुजी अपनी भौतिक अवस्था छोड़ चुके हैं तो बड़े मंदिर जाने का क्या अर्थ था? मेरे लिए एक और स्थिति भी थी। मैं बहुत दूर रहती थी और मेरे पति पंडितों और गुरुओं को नहीं मानते थे और वह मुझे भी गुरुजी के पास नहीं जाने देंगें। इस कारण मैं गुरुजी के पास कैसे जाउंगी? मैंने गुरुजी के सामने अपना मस्तिष्क झुकाया और गुरुजी को कुछ चमत्कार करने को कहा ताकि मैं गुरुजी के दर्शन कर सकूं।
केवल दो सप्ताह पश्चात पवित्र शिवरात्रि के दिन मैं बड़े मंदिर में गुरुजी के दर्शन करने के लिए जाने में सफल हो गयी और मेरे पति भी मेरे साथ थे। उस दिन के पश्चात वह सदैव मेरे साथ बड़े मंदिर आतें हैं।
नए जीवन का आशीर्वाद
जुलाई 2012 में मैं गली में जा रही थी कि तभी एकाएक एक कार तेजी से सामने से आयी। जब यह दृश्य मेरी आँखों के सामने आया, तो मुझे ऐसा लगा कि यह मेरा अंत है। मैंने देखा कि कार मेरे साथ टकराई और मुझे हवा में उड़ा कर ज़मीन पर पटक दिया। और मेरे खून के छींटे सड़क पर पड़े हुए हैं। परन्तु साधारण दृष्टि से देखने पर, मैं बग़ैर किसी खरोंच के वापिस सड़क पर थी। तब मुझे एहसास हुआ कि कार केवल मुझे छूती हुई मेरे पास से निकल गयी थी और मैं पूर्णतया ठीक थी। यदि गुरुजी ने मुझे नहीं बचाया होता तो मुझे पता नहीं कि मेरा क्या हो जाता। गुरुजी ने दिखाया कि क्या घटित होने वाला था और उन्होंने मुझे नए जीवन का आशीर्वाद दिया।
यह गुरुजी का दिखाया हुआ मेरे लिए पहला या अंतिम दृश्य नहीं था। एक संध्या को मैं ऊंघ सी रही थी तभी मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे हाथ पर 396 लिख दिया और कहा कि यह मेरे लिए शुभ अंक हैं। जब मैं उठी तो मैं इस अंक का मतलब नहीं समझ पायी।
दो वर्ष पश्चात मेरी बेटी ने एक लड़के को जन्म दिया। मैंने अपने दोते का जन्म समय अपने हाथ पर ही लिख लिया: तारीख 3, 9 बजकर 6 मिनट।
विवादित संपत्ति को बेचना
हमारे पास एक संयुक्त संपत्ति थी जो पिछले 12 साल से विवाद में थी। यह एक 30 साल पुराना घर था जिस के असल दस्तावेज हमारे पास नहीं थे। संपत्ति ना तो हमारे नाम पर थी और ना ही फ्रीहोल्ड थी। परन्तु गुरुजी की कृपा से हमें ना केवल संपत्ति के कागज़ात मिल गए बल्कि यह संपत्ति हमारे नाम पर भी हो गयी। संपत्ति फ्रीहोल्ड भी हो गयी और हम ने इसे बेच दिया। संपत्ति खरीदनेवाले ने ना केवल इस के बदले में एक नया घर दिया बल्कि कई लाख रुपये भी साथ में दिए। इस सब के लिए हमें एक भी पैसा अपने पास से नहीं खर्च करना पड़ा। यह केवल गुरुजी की कृपा के कारण ही हुआ।
मैं गुरुजी के चरण कमलों में प्रणाम करती हूं। गुरुजी ने मुझे इतना अधिक दिया जितना कि मैं संभाल भी नहीं सकती।
किरण सिकरी, एक भक्त
अक्टूबर 2015