राजस्थान की मंजू गुप्ता को एक अज्ञात रोग था। चिकित्सकों को कुछ पता नहीं चला और उसे बिना इलाज के घर वापस भेज दिया गया।
उनका परिवार महाराज जी का अनुयायी था। उनका परिवार उस महिला को महाराज जी के पास लेकर गया, जिनके बारे में मानना था कि उनके पास अलौकिक शक्तियाँ हैं। उस महिला को देखने के बाद महाराज जी ने कहा कि वह महिला दुष्ट आत्मा की वजह से डर रही थी; उसे कोई रोग नहीं था।
महाराज जी ने पूरी कोशिश की पर वह उस महिला को उसकी परेशानी से छुटकारा नहीं दिला सके। महाराज जी ने उसके परिवार को जवाब दे दिया कि वह उस महिला का इलाज नहीं कर सकते, उसका इलाज तो केवल ठाकुरजी (भगवान) ही कर सकते हैं।
संयोगवश (या फिर गुरुजी की मर्ज़ी से), वह महिला एक ऐसे परिवार की दूर की रिश्तेदार थी जो गुरुजी के अनुयायी थे। उन्होंने मंजू के परिवार के साथ सत्संग किया और मंजू और उसका परिवार दिल्ली में बड़े मंदिर आए। मंजू मंदिर के अंदर कदम रखने ही वाली थी, कि अचानक उसने चिल्लाना शुरू कर दिया; कुछ समय तक वह रोती ही रही।
उसका परिवार उसे अंदर ले गया और जैसे ही उसने मंदिर के अंदर कदम रखा, उसने रोना बंद कर दिया। वह शांत हो गई, और तीन घंटों के लिए उसे नींद आ गई। उसके परिवार के लोगों ने कहा कि सालों बाद वह महिला इतने लम्बे समय के लिए सोई थी।
शाम को वह गुरुजी के दर्शन के लिए गए। उन्होंने चाय प्रसाद और लंगर ग्रहण किया और मंजू शांत रही। तबसे उसे कोई परेशानी नहीं हुई है क्योंकि उसे ठाकुरजी (भगवान) के दर्शन हो गए।
सिद्ध पुरुष की अलौकिक शक्तियों की भी सीमाएँ होती हैं। वह किसी को जीवन प्रदान नहीं कर सकते हैं और न ही किसी को मृत्यु से बचा सकते हैं। किन्तु गुरुजी महापुरुष हैं। वह शिव हैं। वह साक्षात भगवान हैं।
मंजू गुप्ता, अलवर, राजस्थान
जुलाई 2007