दुर्गा मंदिर में गुरुजी दिखाई दिए

मीनू शर्मा, जनवरी 2012 English
जय गुरुजी! मैं अमेरिका में टेक्सास में रहती हूँ और गुरुजी से 2007 में मिली। मैं दुर्गा माता की उपासक हूँ, और नवरात्रों में माता के लिए सालों से उपवास रखती आई हूँ। सितम्बर 2010 के नवरात्रों में, मैं अपने पति और बच्चों के साथ मंदिर गयी। मैंने प्रार्थना करने के लिए अपनी आँखें बंद कीं - और मुझे गुरुजी दिखे। मैं परेशान हो गयी, क्योंकि मैं चाहती थी कि माता रानी मुझे आशीर्वाद दें। मेरे पति ने कहा कि यह एक ही बात है। अतः मैंने फिर से आँखें बंद कीं। मुझे दोबारा गुरुजी दिखे। वह मुझे नज़र आते रहे और मुझे यह भी एहसास कराते रहे कि वे ही माता रानी भी हैं। तब से, मैंने उनको हमेशा अपने साथ ही महसूस किया है। मुझे अभी तक (गुलाबों की) खुशबू नहीं आई है, पर मुझे प्रतीत होता है कि उनकी नज़र मुझ पर है।

जय गुरुजी! ॐ नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय; ॐ नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय

पेट की संक्रामक बीमारी का उपचार

दीवाली से पहले मैं अपने घर की सफाई कर रही थी कि मैं गिर गयी। मेरे पैर का नाखून निकल आया और बहुत रक्तस्त्रवण हुआ। मैं चिकित्सक के पास गयी जिसने संक्रमण से बचाव के लिए गहन एंटीबायोटिक दवाईयाँ लेने को कहा। किन्तु मुझे उस दवाई से एलर्जिक रिएक्शन हो गया। मेरा चेहरा सूज गया, मुझे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी और शरीर में बहुत तेज़ दर्द था। मैं चिकित्सक के पास दोबारा गयी। वह मेरा चेहरा देखकर स्तंभित रह गयी। उसने मेरे पैर के नाखून के लिए एक और भी ज़्यादा तीक्ष्ण एंटीबायोटिक दवाई लेने को कहा जिससे मुझे एक और एलर्जिक रिएक्शन हो गया: मुझे सोलह दिन तक दस्त हो गए। मुझे पानी की कमी हो गयी; पेट में बहुत पीड़ा थी; मेरी मरने जैसी हालत हो गयी थी।

अंततः मैं अपने घर में बने मंदिर में जाकर बैठ गयी और गुरुजी के आगे जी-भर के रोई: मैं यह दर्द अब और नहीं सहन कर सकती; मैंने सोलह दिन से कुछ खाया नहीं है; मैं अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिता पा रही हूँ; मेरी मदद कीजिए गुरुजी। मैंने उनसे प्रार्थना की कि वह मुझे ठीक कर दें। चिकित्सक ने मुझे बताया कि एंटीबायोटिक के कारण मुझे क्लॉस्ट्रीडियम डिफिसाइल (बैक्टीरियल) रोग हो सकता था। तथा अगर यह रोग गंभीर स्थिति तक नहीं पहुँचा, तो इसका इलाज हो सकता था, किन्तु पूरी तरह रोग मुक्त होने में एक साल लगता।

उसी रात मुझे स्वप्न में मेरे एक मामा आए जिनकी कुछ महीने पहले ही मृत्यु हुई थी। मैं स्नानगृह जा रही थी और मेरे मामा मेरे पास आए। मैंने उनसे कहा कि मैं अभी आती हूँ; वह मेरा इंतज़ार करें। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि पेट में मुझे कुछ काट रहा हो। आईने में मैंने देखा कि छोटे, काले कीड़े मुझे काट रहे हैं। मैं डर गयी और उन्हें हटाने लगी क्योंकि मुझे पेट में दर्द हो रहा था। जैसे ही वे सारे हट गए, मुझे पेट पर कुछ मुहांसे जैसा नज़र आया। मैं डर गयी और मैंने खुद से कहा, "यह क्या है!"

अगली सुबह जब मैं उठी, मेरे दस्त बंद हो गए थे और मुझे दर्द नहीं था। और यह सब गुरुजी के कारण हुआ। धन्यवाद, गुरुजी। मैं आपसे प्यार करती हूँ, गुरुजी।

ॐ नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय; ॐ नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय

मीनू शर्मा, एक श्रद्धालु

जनवरी 2012