मैं फारुखनगर का रहने वाला हूँ जो गुड़गाँव से 22 किलोमीटर दूर है। साल 2004 में मुझे गुरुजी के दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ, जब मेरा छोटा भाई, दीपक गुप्ता, जो नोएडा का रहने वाला है, मुझे एम्पायर एस्टेट लेकर गया।
गुरुजी के छोटे मंदिर जाना हमारा भगवान शिव से पहली बार मिलना था। गुरुजी के पहले दर्शन संतोषप्रद थे! मैं वास्तव में गुरुजी में भगवान शिव को देख पाया और गुरुजी के माथे पर मैंने शिवलिंग देखा। गुरुजी के चरण कमल स्पर्श करने से ही मेरे हाथों से दिव्य सुगंध आने लगी। यह इतना अद्भुत अनुभव था कि मैंने सार्वजनिक परिवहन लेकर नियमित रूप से सप्ताह में एक बार जाना आरम्भ कर दिया। गुरुजी के दर्शन प्राप्त होने से पहले मैं मंदिरों के चक्कर लगाया करता था पर मुझे शांति नहीं मिलती थी। गुरुजी की शरण में आने के बाद मैं सारे मंदिर भूल गया और बस गुरुजी, भगवान शिव में लीन हो गया। जैसे एक भूखे व्यक्ति को खाना मिल जाए तो वो कैसे खुश हो जाता है, वैसी ही खुशी मुझे गुरुजी के दर्शन, लंगर और चाय प्रसाद से मिलती।
फारुखनगर के निवासियों को गुरुजी के बारे में पता चला। एक और निवासी ने भी दर्शन के लिए जाना आरम्भ किया। क्योंकि उसके पास स्कूटर था, मैं उसके साथ जाने लगा। जैसे-जैसे समय बीतता गया, मेरे इलाके से संगत बढ़कर करीब 10 हो गई। जल्द ही हम टैक्सी भाड़े पर लेकर आराम से गुरुजी के यहाँ जाने लगे।
गुरुजी ने संगत के सभी लोगों पर कृपा की और मेरे तथा मेरे परिवार पर अपना प्रेम व आशीर्वाद बरसाया।
मेरी पत्नी को नया जीवन मिला
साल 2005 में दिवाली के त्यौहार पर मेरी पत्नी किरन को डेंगू हो गया। चिकित्सकों ने सुबह करीब 10 बजे इसका डायग्नोसिस किया और मैंने तुरंत अपने भाई दीपक को फोन किया। वह उस समय बड़े मंदिर जा रहा था। उसने मुझे आश्वासन दिया कि हम गुरुजी की छत्र-छाया में थे और कुछ गलत नहीं होगा। फिर वह गुड़गाँव आया और हमें नोएडा के एक बड़े अस्पताल लेकर गया। वहाँ चिकित्सक ने हमें कहा कि किरन की आँखों में रक्त दिखाई दे रहा था और जल्द ही उसके कानों और नाक से रक्त बहना आरम्भ हो जाएगा और इस रक्तस्त्राव को रोकना कठिन होगा। चिकित्सक ने हमें उसे एम्स लेकर जाने की सलाह दी। मेरी उम्मीद टूट गई और मैं रोते हुए ज़मीन पर बैठ गया। दीपक ने चिकित्सक को कहा कि उसे किरन को एडमिट करना होगा और हमारे गुरुजी उसका ख्याल रखेंगे। दीपक ने चिकित्सक से यह भी कहा कि वह बस इस बात का ध्यान रखे कि जो भी इलाज होना हो, वो होता रहे। बहुत दबाव डालने पर अन्त में किरन को वहाँ एडमिट किया गया और हमें उसके लिए रक्त और प्लेट्लेट्स का प्रबंध करने के लिए कहा गया। गुरुजी की कृपा से तुरंत ही ये प्रबंध हो गए और किरन को आइ सी यू में ले जाया गया।
शाम को दीपक बड़े मंदिर गया और उसने गुरुजी से किरन के लिए प्रार्थना की। मैं और मेरा परिवार सारी रात आइ सी यू के बाहर रहे। सुबह को जब चिकित्सक ने उसकी जाँच की तो वह बोली कि किरन की किडनी और लिवर अब तक बहुत खराब हो गए थे जिसके कारण उसका शरीर सूज गया था। गुरुजी में पूरा विश्वास रखते हुए हम उनसे प्रार्थना करते रहे।
बुधवार का दिन था और मैंने गुरुजी के छोटे मंदिर जाने का निश्चय किया, इस आशा के साथ कि गुरुजी के दर्शन हो जायें। परन्तु वहाँ पहुँचकर मैंने देखा कि दरवाज़ा बंद था। मैं वहीं बाहर बैठ गया और गुरुजी से प्रार्थना करने लगा और साथ ही मैं रोये भी जा रहा था। एक सेवादार बाहर आए और उन्होंने मुझसे मेरी स्थिति के बारे में पुछा। जब मैंने गुरुजी के दर्शन करने के लिए कहा तो वह बोले कि गुरुजी केवल संगत वाले दिन ही मिलेंगे और उनके दर्शन के लिए मुझे बृहस्पतिवार से रविवार के बीच में किसी दिन आना होगा। मैंने उनसे कहा कि मैं इस बात से अवगत था और मैंने उनसे वहाँ कुछ और देर बैठे रहने के लिए निवेदन किया। वह मान गए और उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि गुरुजी से "कनेक्ट" करने के लिए मुझे बड़े मंदिर जाना चाहिए था: गुरुजी बड़े मंदिर में हमेशा विद्यमान रहते हैं, उन सेवादार ने कहा। फिर वह अंदर चले गए और कुछ ही देर में दोबारा बाहर आए, मुझसे मेरा नाम और समस्या पूछने। फिर वह मेरे लिए चाय प्रसाद और लंगर लेकर आए और मुझे बोले कि चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। वे बोले कि किरन बिलकुल ठीक हो जाएगी। मैं जानता था कि ये शब्द गुरुजी से आ रहे थे और प्रसाद ग्रहण करके मुझमें नई ऊर्जा भर गई। जब मैं अस्पताल पहुँचा तो बहुत अच्छा अनुभव कर रहा था परन्तु चिकित्सक ने कोई उम्मीद नहीं दिखाई। उन्होंने परिस्थिति ऐसे समझाई: कोई चाहे सातवें माले से गिरे या पाँचवे माले से, मौत तो निश्चित थी।
अगला दिन संगत का था और मैं गुरुजी के दर्शन के लिए मंदिर पहुँचा। अन्त में जब मैं गुरुजी से आज्ञा लेने के लिए माथा टेकने गया तो मैं अंदर से रो रहा था और गुरुजी से बोला कि किरन को डेंगू हो गया था। गुरुजी के निकट एक महिला बैठी हुई थीं और गुरुजी ने उनसे पूछा कि डेंगू कौनसी बीमारी होती है। फिर वह मेरी ओर मुड़े और मुझसे यह जादुई शब्द बोले कि वो ठीक हो जाएगी। गुरुजी का कथन पर्याप्त था सब कुछ पलट कर रख देने के लिए। जब मैंने मंदिर के बाहर से चिकित्सक को फोन किया तो चिकित्सक ने मुझे बताया कि किरन के प्लेटलेट काउंट में अब पर्याप्त सुधार आया था और 35,000 तक पहुँच गया था।
उस रात अस्पताल में किरन चीखते हुए उठी। जब नर्स उसे देखने गई तो उसने नर्स को मुझे आइ सी यू में लेकर आने को कहा। मेरे अंदर जाने पर किरन ने मुझे अपने सपने के बारे में बताया कि दो काले व्यक्ति उसे अपने साथ ले जाना चाहते थे। उसने मुझे और परिवार के अन्य सदस्यों को मदद के लिए पुकारा पर हम लोगों ने कुछ नहीं किया और बस वहाँ खड़े रहे। फिर उसने गुरुजी से मदद माँगी। गुरुजी आए और उन लोगों से बोले, "छड्डो ऐनु" (छोड़ो इसे)। गुरुजी के ऐसे दृढ़ता से आदेश देने पर वह दोनों तुरंत चले गए। हमें बोध हुआ कि गुरुजी किरन को बचाने और आशीर्वाद देने अस्पताल आए थे।
अगले 15 दिनों में किरन पूरी तरह स्वस्थ हो गई। जल्द ही उसे डायलिसिस की आवश्यकता भी नहीं रही। छुट्टी देते समय चिकित्सक ने उसे हर तीन महीनों में नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच के लिए आने की हिदायत दी।
गुरुजी की कृपा ने मेरे परिवार को एक बहुत कठिन समय से निकाला! किरन ठीक थी और हमने गुरुजी के मंदिर नियमित रूप से जाना प्रारंभ कर दिया।
मेरी पत्नी की उच्च ब्लड शुगर का उपचार
ऐसे ही एक त्रि-मासिक जांच के लिए जब किरन चिकित्सक के पास गई तो उसने कहा कि वह कमज़ोरी अनुभव कर रही थी। चिकित्सक ने उसे ब्लड शुगर की जाँच कराने को कहा। जाँच कराकर हमने घर जाने का फैसला किया और चिकित्सक से कहा कि जाँच की रिपोर्ट बाद में मेरा भाई आकर ले जाएगा। घर जाते समय हमने गुड़गाँव में कुछ जल-पान भी किया। अगले दिन दीपक ने मुझे अस्पताल से फोन पर बताया कि किरन की ब्लड शुगर की मात्रा बहुत अधिक थी-480 से 580 तक। चिकित्सक की सलाह थी कि इन्सुलिन के इन्जेक्शन के लिए किरन को तुरंत किसी स्थानीय अस्पताल जाना चाहिए। उसने हमें यह चेतावनी भी दी कि इतनी उच्च ब्लड शुगर से कोमा, लकवा और उससे भी कुछ अधिक भी हो सकता था। मैंने दीपक से कहा कि मैं अभी घर से अपनी दुकान पर आया था और किरन ठीक थी। जब मैं झटपट अपने घर वापस पहुँचा तो देखा कि किरन बच्चों को खाना परोस रही थी। मैंने उससे पूछा कि क्या वो ठीक थी और उसने कहा कि वह बिलकुल ठीक थी। जब मैंने यह दीपक को बताया तो उसने मेरी बात चिकित्सक से कराई। चिकित्सक ने फिर कहा कि हमें जल्दी से कोई स्थानीय अस्पताल जाना चाहिए (क्योंकि नोएडा तक आना किरन के लिए संकटपूर्ण हो सकता था) और किरन की ब्लड शुगर जाँच कराने को भी कहा।
हमने जाँच कराई तो पाया कि उसकी ब्लड शुगर बहुत अधिक थी। इस पर चिकित्सक ने कहा कि उसे को तुरंत अस्पताल में एडमिट हो जाना चाहिए। पर उस शाम हमें गुरुजी के यहाँ जाना था। हम संगत में गए जहाँ हमने लंगर प्रसाद ग्रहण किया, जिसमें खीर और लड्डू भी थे। ब्लड शुगर के मरीज़ के लिए ये हानिकारक होते हैं पर गुरुजी की शरण में तो ये आनंदमय प्रसाद हैं ! संगत से हम दीपक के साथ सीधा नोएडा के एक अस्पताल गए। वहाँ हमें अगली सुबह आने के लिए कहा गया।
अगली सुबह जब हम 8 बजे अस्पताल पहुँचे तो चिकित्सक किरन को एमर्जेन्सी में लेकर गई और उसकी ब्लड शुगर की जाँच की जो अधिक निकली और उसे तुरंत इन्सुलिन दी गई। करीब आधे घंटे में किरन को कमरे में लाया गया और हर आधे घंटे में उसे इन्सुलिन दिया गया। उससे बार-बार पूछा जा रहा था कि कहीं उसकी आखों के आगे अँधेरा तो नहीं छा रहा या ऐसी कोई अनुभूति हो रही हो जो ठीक नहीं थी। पर उस पर गुरुजी की कृपा थी और उसे ठीक लग रहा था।
इन्सुलिन की इतनी भारी मात्रा के कारण जल्द ही उसकी ब्लड शुगर गिर कर 77 पर आ गई जिसने फिर चिकित्सकों को चिंता में डाल दिया। कुछ समय के लिए किरन को ग्लूकोज़ चढ़ाया गया जिससे फिर उसकी ब्लड शुगर बढ़ गई। ब्लड शुगर के इतने उतार-चढ़ाव के कारण हमें अस्पताल में एक हफ्ता रुकना पड़ा।
बृहस्पतिवार को हमने दबाव डाला कि किरन को छुट्टी दी जाए क्योंकि हम गुरुजी के दर्शन के लिए जाना चाहते थे। चिकित्सक इसके लिए मान गए लेकिन उन्होंने किरन को नियंत्रित आहार लेने के कड़े निर्देश दिए। साथ ही इन्सुलिन का नित्य-कर्म दिया गया जिसका कड़ाई से पालन करना था। क्योंकि हमें गुरुजी के दर्शन और प्रसाद प्राप्त हुए थे, हमने उनसे प्रार्थना की कि किरन की इन्सुलिन की इन्जेक्शन बंद हो जाए। गुरुजी की कृपा से, करीब एक महीने में किरन ने इन्सुलिन लेना बंद कर दिया और उसका स्वास्थ्य ठीक हो गया। आज, गुरुजी की कृपा से, किरन एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही है!
वास्तव में, जो भी संगत बड़े मंदिर जाती है और गुरुजी से जुड़ती है, वो उनका प्रसाद और आशीर्वाद प्राप्त करती है और गुरुजी की शरण में आ जाती है। गुरुजी मंदिर में हमेशा विद्यमान होते हैं !
गुरुजी के आशीर्वाद के प्रसंग तो बहुत हैं और मैं उनका व्याख्यान करता ही जा सकता हूँ। जब गुरुजी मुझे दोबारा इसका अवसर देंगे, वास्तव में मैं गुरुजी के और भी सत्संगों का अनुकरण करूँगा। सत्संग बताने में अगर मुझ से कोई गलती हुई हो तो गुरुजी मुझे क्षमा करें। जय गुरुजी!
नरेश गुप्ता, एक भक्त
जून 2010