हमारी शादी को सात साल हो गए थे लेकिन हमारी कोई संतान नहीं थी। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान था और हमेशा ही अपनी संतान पाने की इच्छा रखता था। हमने व्रत भी रखे और कई अनुष्ठान भी किए और नामी चिकित्सकों की सलाह भी ली लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।
मैं दुबई मैं रहता हूँ और साल में दो बार अपनी माँ और परिवार को मिलने भारत आता हूँ। साल 2014 में जब मैं एक बार आया तो मेरी आंटी ने मुझे गुरुजी के बारे में बताया। मैंने बहुत ध्यान से गुरुजी के बारे में सुना लेकिन गुरुजी के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया। ऐसा इसलिए था क्योंकि मैं कभी भी किसी गुरु के पास नहीं गया था और जीवित महात्माओं में भी विश्वास नहीं करता था। मैं अक्सर अपने दोस्तों का मज़ाक उड़ाता था जो ऐसे पात्रों में विश्वास रखते थे। उस समय मेरी भारत की यात्रा बहुत कम समय की थी और मैं अपनी आंटी के आग्रह करने के बावजूद भी बड़े मंदिर नहीं गया।
सब प्रयत्न करने के पश्चात जब हमें अपनी संतान होने में सफलता नहीं मिली तो हम मंदिर जाने के लिए मान गए। जब मैं अगली बार भारत आया तो मैं, मेरी माँ, मेरी पत्नी और आंटी सब बड़े मंदिर गए। जब हम मंदिर पहुँचे तो बहुत देर हो चुकी थी। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि हमें यहाँ पहुँचने की इतनी जल्दी क्यों थी।
गुरुजी वहाँ पर भौतिक शरीर में नहीं थे परन्तु सेवादार जो संगत को मंदिर पहुँचने में मदद कर रहे थे, उनसे स्पष्ट था कि गुरुजी वहाँ स्थित हैं। मैं इससे पहले ऐसे स्थान पर कभी नहीं गया था। हम जब वहाँ पहुँचे तो मैं भ्रमित हो गया। मैं गुरुजी में वास्तव में विश्वास किए बगैर ही उनसे प्रार्थना कर रहा था। मेरी आंटी ने मुझे कहा था कि मैं गुरुजी से केवल प्रार्थना करूँ, बाकी गुरुजी स्वयं संभाल लेंगे।
हम आजकल दुबई में हैं। गुरुजी के मंदिर के केवल एक बार दर्शन किए कुछ महीने बीत चुके हैं और गुरुजी ने हमारी प्रार्थना सुन ली है। मेरी पत्नी हमारे पहले बच्चे की प्रतीक्षा कर रही है। मुझे समझ नहीं आता है कि मैं गुरुजी का किन शब्दों में धन्यवाद करूँ। हमें आशा है कि गुरुजी का आशीर्वाद हमारे ऊपर सदैव रहेगा और हम जल्द ही अपने बच्चे को अपने परिवार का हिस्सा बनाएँगे।
मेरा एक भी दिन गुरुजी को याद किए बगैर नहीं जाता। मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं जल्द ही बड़े मंदिर जाकर गुरुजी का धन्यवाद करूँ। मुझे आशा है कि गुरुजी सदैव हमें आशीर्वाद देते रहेंगे।
नीरज सेठ, एक भक्त
जुलाई 2015