मेरा परिवार और मैं गुरुजी से कभी उनके शारीरिक रूप में नहीं मिले। हमारे भारत आने से एक महीना पहले गुरुजी ने अपना शारीरिक चोला छोड़ दिया। गुरुजी ने हम पर ऐसी कृपा की है कि हमें लगता है कि वह सदैव हमारे लिए हैं और हर पल हमारी ज़िन्दगी को छूते हैं।
मेरी माँ को ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर रोग हो गया। वह दिन में 5-6 बार नहाती थीं, प्रतिदिन पूरा घर धोती थीं, हमारे जूते और स्कूल के बैग धोती थीं और सब से झगड़ती थीं। कुछ चिकित्सकों ने उन्हें पागल घोषित कर दिया। उनकी बीमारी इतनी बढ़ गई थी कि मेरे पिता उन्हें मेन्टल अस्पताल में भर्ती कराने की सोच रहे थे। आठ सालों तक हम भारत और अमेरिका के उच्च चिकित्सकों से मिले पर कोई भी उनका इलाज नहीं कर पाया। हम बहुत गुरुओं और आध्यात्मिक चिकित्सकों के पास भी होकर आए। बहुतों ने हमें कहा कि मेरी माँ पर किसी ने काला जादू कर दिया था। हमने हर तरह की पूजा भी कर के देख ली पर कुछ भी काम नहीं आया। फिर हमने एक मित्र से गुरुजी के बारे में सुना।
क्योंकि हम पहले भी बहुत सारे गुरुओं के पास जा चुके थे, हमने एक और बार जाने का तय किया। जब मेरी माँ की सहेली ने उन्हें गुरुजी की संगत में चलने को कहा तो उन्होंने वहाँ जाने का निश्चय किया। गुरुजी से सम्बन्धित हमने बहुत सारे अनुभवों के बारे में सुना था और मेरा परिवार बहुत विस्मित था। पहली बार संगत में जाने के बाद, मेरी माँ को गुरुजी के चार सपने, नहीं, दर्शन हुए। हर दर्शन ने उनकी ठीक होने में मदद की।
पहले दर्शन में, गुरुजी मेरी माँ पर चीख रहे थे और उनको अपना ऊटपटाँग बर्ताव बंद करने को कहा। गुरुजी मेरी माँ पर बहुत गुस्सा थे और उनके बिस्तर के करीब आकर बोले, "दस्सां तैनु।" गुरुजी के उन दर्शन के बाद से मेरी माँ ने खुद को सुधारा और ज़िन्दगी की ओर उनका नज़रिया इतना बदल गया जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती। गुरुजी के बस एक दर्शन ने मेरी माँ को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने मेरी माँ का बर्ताव एक रात में बदल दिया जो चिकित्सक पिछले आठ सालों में नहीं कर पाए थे। आज मेरी माँ गुरुजी की बहुत बड़ी भक्त हैं। यह सोचकर कि कोई है जो हमसे इतना प्यार करता है, मेरी आँखों में आसूँ आ जाते हैं। मेरी माँ प्रतिदिन गुरुजी की पूजा करती हैं और ज़िन्दगी को देखने का उनका नज़रिया बदल गया है। आज तक वह एक भी संगत में जाने से चूकी नहीं हैं। उनको ऐसा लगता है मानो कोई शक्ति हर हफ्ते संगत में जाने के लिए उन पर दबाव डाल रही हो।
उनके साथ एक और रोचक बात यह होती है कि मेरी माँ को पाँव में बहुत गंभीर दिक्कत होती है और चाहे वह मंदिर में हों या गुरद्वारे में, वह ज़्यादा देर तक ज़मीन पर नहीं बैठ पाती हैं। परन्तु जब भी वह गुरुजी के यहाँ जाती हैं, उनके पाँव की दिक्कत बस गायब हो जाती है।
हर पल उनकी निगरानी में
गुरुजी ने कॉलेज में मेरी बहुत मदद की। जब भी मुझे परीक्षा देनी होती थी मैं घबरा जाती थी। यद्यपि मैंने बहुत पढ़ाई की हुई होती थी फिर भी मैं सब कुछ भूल जाती। अब, जब भी मुझे परीक्षा देनी होती है या कुछ आवश्यक काम होता है, मैं गुरुजी का स्वरुप अपने साथ रखती हूँ और फिर जो भी मैं करती हूँ उसका नतीजा वही होता है जो मैं चाहती हूँ।
मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे गुरुजी हमारी जीवन के हर पल में हमारे साथ हैं, हमें यह एहसास कराते हुए कि जब तक हम गुरुजी के साथ हैं, कुछ गलत नहीं हो सकता है। मुझे यह महसूस होता है कि प्रतिदिन, प्रति पल गुरुजी की नज़र मुझ पर है, चाहे मैं कॉलेज में होऊँ, खरीददारी कर रही हूँ, या घर पर हूँ। मैं यह महसूस करती हूँ कि उनकी नज़र मुझ पर और मेरे परिवार पर बनी हुई है।
जब तक आपको गुरुजी में श्रद्धा है, इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। कुछ भी नहीं। गुरुजी ने जो कुछ भी हमारे लिए किया है, मैं बस उनके लिए गुरुजी का धन्यवाद करना चाहती हूँ। मेरी बस एक ही इच्छा पूर्ण होनी बची थी कि मैं असल जीवन में गुरुजी को देखूँ, पर गुरुजी ने मुझे यकीन दिलाया कि वह हर जगह हैं। और कौन है जो हर जगह हो सकता है? केवल भगवान।
नीना कपूर, एक भक्त
नवम्बर 2008