जून 2015 के अंतिम सप्ताह में मेरे भाई के मित्र ने कुछ तसवीरें मेरे फ़ोन पर भेजी। उसने बताया कि यह तस्वीर गुरुजी की है जिन के पास बहुत ही चमत्कारपूर्ण शक्तियां हैं। उसने मुझे बड़े मंदिर के बारे में भी बताया परन्तु मैंने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि जब गुरुजी भौतिक अवस्था में भी नहीं हैं फिर भी लोग गुरुजी के मंदिर में क्यों इतनी भीड़ लगा रहें हैं। उनमें से एक तस्वीर में दिव्य दिया था। मैंने गुरुजी के चेहरे को दिये की लौ में आरोपित हुए देखा। मैंने इस पर विश्वास नहीं किया। मैंने अपने मित्र को बताया कि यह तस्वीर कृत्रिम रूप से निर्मित है। मैंने अपने मित्र को बताया कि तस्वीर को आसानी से संशोधित किया जा सकता है।
बड़े मंदिर के दर्शन करने के पश्चात मेरे मन में गुरुजी की स्थायी छाप पड़ गयी। मेरा मन अचानक ही गुरुजी के बारे में और अधिक जानने की इच्छा से बेकरार हो गया। मैंने इंटरनेट पर गुरुजी के बारे में बहुत ढूँढ़ा और जितने भी यूट्यूब पर वीडिओ मुझे मिल पाये, मैंने देखे। चार पाँच दिन के भीतर जितने भी सत्संग मिल पाए, मैंने पढ़े।
पिछले लगभग एक दशक से मुझे अनिद्रा की बीमारी थी। हमारा परिवार मेरठ से जोधपुर में स्थानान्तरित हो गया था। मेरी अनिद्रा की बीमारी पिछले दो वर्षों से बहुत गम्भीर हो गयी थी, विशेष रूप से जब से हमारा परिवार 2013 में जोधपुर में ऐतिहासिक स्थल देखने गया, मेरा यह मानना था कि अवश्य ही उस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा के बाद से कोई प्रतिदिन रात को मेरी निद्रा में बाधा डाल रहा है। मैंने बहुत उपचार कराये परन्तु अनिद्रा की पीड़ा से मुक्ति नहीं मिल पायी।
मेरे भाई के मित्र ने मुझे जब भी हो सके गुरुजी का मन्त्र जाप करने को कहा। उस शनिवार को मैंने गुरुजी के मन्त्र जाप को अपनी प्रतिदिन की पूजा का एक हिस्सा बना लिया। जाप करते समय मैंने एक पानी का ग्लास भी अपने पास रखा। प्रार्थना के पश्चात मैंने वह ग्लास वाला पानी अपनी रसोई में पीने वाले पानी में मिला दिया।
शीघ्र ही मैं सो गयी और सुबह 11 बजे उठी और रोज की तरह से मैं नियमित कार्य करने लगी। काम समाप्त करने के बाद अचानक ही मुझे रोने की इच्छा हुई। मैंने अपने आप को रोकने का प्रयत्न किया परन्तु नहीं रोक पायी और खुल कर रोने लगी। उस समय घर में केवल मेरा बेटा था और मेरे पति सुबह मुझे सोता देख कर मुझे जगाए बगैर ही अपने काम पर चले गए थे। मुझे रोते हुए ऐसे लग रहा था जैसे कि मैं अपने किसी बहुत प्रिय के लिए विलाप कर रही हूँ। दोपहर में मेरे पति वापस आये और हम ने मिल कर दोपहर का भोजन किया। उसके बाद मैं फिर से रोने लगी। मेरे पति ने मेरे रोने का कारण पूछा लेकिन मेरे पास इस का कोई जवाब नहीं था। उसके पश्चात मैं फिर से सो गयी और जब उठी तो अपने आप को बहुत ही हल्का और ताज़ा महसूस कर रही थी।
यद्यपि मैं गुरुजी से न कभी भौतिक अवस्था में ही मिली हूँ और न ही मैं कभी बड़े मंदिर गयी हूँ, परन्तु आज मैं वास्तव में विश्वास से कह सकती हूँ कि गुरुजी ने ही मुझे अनिद्रा की गम्भीर बीमारी के चंगुल से बचाया है। गुरुजी ने मेरा उपचार कर दिया है और मेरा जीवन सामान्य हो गया है।
वास्तव में मैं अनिद्रा की बीमारी के अलग-अलग स्तर से पिछले एक दशक से पीड़ित रही हूँ। मैं रात्रि को नहीं सो पाती थी और दिन में भी नींद नहीं आती थी। कई बार मुझे नींद की गोलियाँ लेनी पड़ती थीं। अब यह सब अतीत की बातें हैं। अब तो गुरुजी के शबद ही मेरे लिए ट्रांकलायजेर (नींद की गोलियों) का काम करते हैं और मैं अक्सर पूरे शबद सुने बगैर ही सो जाती हूँ। मुझे बहुत ही गहरी निद्रा आती है और किसी भी तरह का बुरा स्वप्न नहीं आता।
मैं गुरुजी के प्रिय भक्तों के आगे नमन करती हूँ। गुरुजी की शक्ति की प्रेरणा ही है कि मैं इस सत्संग को आप सब संगत के साथ शेयर कर पा रही हूँ। मैं तो एक नम नाशवान् प्राणी हूँ जो गुरुजी की महिमा का व्याख्यान नहीं कर सकती परन्तु एक भक्त के रूप में मुझे गुरुजी के सत्संग को अवश्य शेयर करना चाहिए। केवल गुरुजी के दिव्य आशीर्वाद के कारण ही मैं आज प्रसन्न और मस्त हूँ। गुरुजी, आप का धन्यवाद
ॐ नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ॐ नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
पारुल सिंह, एक भक्त
अगस्त 2015