हम गुरुजी के दिव्य संरक्षण में हैं

प्रवीन सैनी, मई 2011 English
जब से हम गुरुजी के दिव्य संरक्षण में आए हैं, जीवन आसान तथा कठिनाइओं और तनाव से मुक्त हो गया है। मन में कोई भी इच्छा जागरूक होती है तो वह तत्काल ही पूर्ण हो जाती है—जैसे गुरुजी हर क्षण हमारी सुन रहे हैं और हर समय हमें खुशियाँ बाँट रहे हैं। मेरा मानना था कि जीवन के प्रत्येक अवस्था के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है—योग, पढ़ाई, आध्यात्मिकता इत्यादि। फिर मुझे गुड़गाँव में गुरुजी के दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ। एक अद्भुत बात हुई : जब उन्होंने मुझपर दृष्टिपात किया तो मुझे एक शक्तिशाली किरण मेरे आर-पार होने की अनुभूति हुई। उसी क्षण मुझे यह भी लगा कि गुरु के लिए मेरी खोज संपूर्ण हो गई थी। तब से मेरे साथ कई चमत्कारी अनुभव हुए हैं और मैं वो सबको बताना चाहता हूँ।

गुरुजी की कृपा से मेरी स्वास्थ सम्बन्धी समस्या ठीक हो गई और सरकारी सेवा के 15 सालों बाद मेरी पदोन्नति हुई। मेरी माँ का ई आर सी पी (जठरांत्र) की शल्य-चिकित्सा हुई, मेरी बेटियों के अच्छे अंक आए और उन्हें उनकी पसंद के पाठ्यक्रम में दाखिला मिला; और मेरी पत्नी की सर्वाइकल की समस्या का उपचार हुआ। जय गुरुजी!

जब गुरुजी ने स्वयं मेरे हृदय का ऑपरेशन किया

15 मई 2008 को मैं अपने परिवार के साथ गुरुजी के दर्शन के लिए बड़े मंदिर गया। मैंने वहाँ चाय प्रसाद और लंगर प्रसाद ग्रहण किया। जब आज्ञा लेने का समय हुआ तो मुझे दोबारा चाय प्रसाद मिला। जब मैंने पूरा प्रसाद पिया तो यह देखकर बहुत खुश हुआ कि मेरे ग्लास पर एक सुन्दर ॐ बना हुआ था। हम सब ने गुरुजी के दर्शन किये।

रात को सोते समय मुझे बायें हाथ में कुछ बहने का एहसास हुआ। मुझे एहसास हुआ कि वह मेरे सीने के बायीं ओर से होते हुए मेरे बायें हाथ से ऊपर, तर्जनी के नीचे मेरी हथेली तक जा रहा था। वह 'वस्तु' लगातार कुछ समय तक बहती रही। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई चूसकर मेरी हथेली से कुछ निकाल रहा था। मैंने उठने की कोशिश की पर उठ नहीं पाया। यह सब बहुत समय तक चलता रहा। बाद में जब मैं उठ पाया तो मुझे हथेली में दर्द था। मैंने पानी पीया, थोड़ा चला-फिरा और अपने हाथ मले। मेरी हथेली पर कुछ नहीं था। गुरुजी का मंत्र जाप करके मैं सो गया।

सुबह पाँच बजे जब मैं उठा तो मेरी हथेली में दर्द था। यह दर्द मुझे शाम तक रहा पर उसके बाद फिर कभी नहीं हुआ है। वास्तव में, मेरे सीने से एक बोझ हट गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुरुजी ने मेरे उस रोग का ऑपरेशन किया जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं है। इस घटना से पहले मुझे हृदय और अति अम्लता (एसिडिटी) की परेशानी रहती थी। अब मेरी अम्लता की समस्या भी ठीक हो गई है। और जैसा मैंने कहा, गुरुजी ने मेरे हृदय का ऑपरेशन भी किया। गुरुजी की कृपा से मैं बिलकुल ठीक हूँ।

गुरुजी की कृपा के लिए धन्यवाद अदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं गुरुजी से बस इतना ही कहूँगा : "रखना चरणा दे कोल, मैनू रखना चरणा दे कोल "—सदा।

प्रवीन सैनी, एक भक्त

मई 2011