गुरुजी में मैंने दुर्गा माँ, हनुमान जी, राम जी, और शिव जी देखे

रमन शर्मा, जुलाई 2011 English
अक्टूबर 2005 में मुझे अमरीका से नई दिल्ली डिपोर्ट किया गया। मैंने अपना सब कुछ गँवा दिया - अपनी गाड़ी, घर, व्यापार, पैसा। बस मेरे पास कुछ रह गया था तो वो थी मेरी पत्नी, चार साल की बेटी और बारह साल का बेटा। उसी साल नवम्बर में मेरी पत्नी और बच्चे भी भारत वापस आ गए। हमारे रहने का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए हम मेरी पत्नी की मौसी के यहाँ रहे। और तो और, मेरे बेटे को उसके नये स्कूल में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

उस दौरान मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त ने मुझे गुरुजी के बारे में बताया। गुरुजी से मिलने के बाद ही मुझे उनमें विश्वास हुआ। मैं दिल्ली में उनके मंदिर गया और उनसे मिलने के लिए कतार में खड़ा हुआ। जैसे-जैसे मैं उनके पास जा रहा था, मुझे अंदर बड़ा डर महसूस हो रहा था। मुझे महसूस हुआ जैसे मैं भगवान को देख रहा था....

...कुछ मिन्टों बाद मैंने घुटनों के बल उनके आगे झुक कर, माथा टेका, मन में उनसे प्रार्थना की, और आशीर्वाद देने के लिए उनका शुक्रिया किया। मंदिर से निकलकर, मैं बहुत खुश था क्योंकि मैंने भगवान को देखा था।

कुछ महीनों बाद, मेरी पत्नी की मौसी ने भी गुरुजी के बारे में सुना और मेरी पत्नी ने उनसे गुरुजी के दर्शन करने के लिए कहा। मौसी ने मेरी पत्नी को बताया कि उन्होंने सपना देखा था कि मेरी पत्नी और बच्चे एक सुंदर घर में रह रहे थे। मेरी पत्नी बहुत खुश हुई और उसने मौसी से कहा कि काश ऐसा सच हो जाए।

दिन गुज़रते गए और साल 2007 आया। मैं चाहता था कि मेरी पत्नी अमरीका वापस जाकर मेरे वीज़ा की प्रोसेसिंग कराए। मैंने अपनी पत्नी और बच्चों की टिकटें कराईं और वे वापस अमरीका गए।

मैं गुरुजी से प्रार्थना करता रहा, पर साथ ही हनुमान जी से भी। फिर एक दिन मुझे गुरुजी का सपना आया। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं हनुमान जी से क्यों प्रार्थना कर रहा था; वह मेरे साथ यहाँ हैं: मैंने गुरुजी में सारे भगवान देखे: दुर्गा माता, राम जी, हनुमान जी, शिव जी, सब। मैं बहुत खुश हुआ; ये दर्शन कम से कम पाँच मिनट तक चले। इस सपने के बीच-बीच में खलल आती रही पर वापस वो अपने मूल विषय पर आ जाता।

फिर मेरे जीजाजी को गले का कैंसर हुआ। मैं इस बात को लेकर परेशान हो गया। एक दिन, मैं अस्पताल में अपने जीजाजी के साथ बैठा हुआ था और मेरी नज़र ज़मीन पर थी। जैसे ही मैंने ऊपर देखा मुझे एक बहुत चमकदार सफेद रोशनी दिखी। जब मैंने रोशनी की ओर देखने की कोशिश की तो मुझे मुस्कुराते हुए गुरुजी अपने साथ बैठे हुए दिखे। यह उनकी महासमाधि लेने के बाद की बात है। मैं धन्य हो गया था। मेरे जीजाजी काफी बेहतर महसूस करने लगे और हम घर लौट गए।

मुझे बताया गया है कि सिर्फ दो ही व्यक्ति हैं जिन्हें गुरुजी ने सारे भगवानों के दर्शन दिए हैं। उनमें से एक मैं हूँ और दूसरी है मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त, मनोज, की बहन। मैं बस इतना जानता हूँ कि गुरुजी भगवान हैं। ॐ नमः शिवाय, शिवजी सदा सहाय; ॐ नमः शिवाय, गुरुजी सदा सहाय। जय गुरुजी!

रमन शर्मा, एक भक्त

जुलाई 2011