गुरुजी की शरण में एक परिवार को शांति की प्राप्ति

रेनू धीमान, अगस्त 2015 English
हमारा परिवार पिछले पाँच वर्षों से कष्ट से गुज़र रहा था। मेरे पिता, माता और दादी के घरेलू झगड़े हमारे जीवन का हिस्सा बन गए थे। इन झगड़ों के कारण हमें सामाजिक वर्ग में शर्मसार होना पड़ता था। यह सब हमारे तीन भाई-बहनों की समझ से परे था। यद्यपि मैंने कभी गुरुओं में विश्वास नहीं किया, फिर भी मैं 2015 में बड़े मंदिर दर्शन के लिए चली गयी।

मैंने दिल की तह से गुरुजी से प्रार्थना की। एक माह बीत गया लेकिन कुछ भी सुधार नहीं हुआ। अंत में हम भाई-बहनों ने इन परिस्थितियों को अपने हाथ में लेने का फैसला किया और सोचा कि हम ही अपने माता, पिता और दादी के साथ रह कर तर्क करेंगे।

हमने अपने परिवार के साथ एक सप्ताह के लिये रहने की योजना बनाई। लेकिन चार दिन लगातार समझाने बुझाने और बहस के बाद भी कुछ प्रगति नहीं हुई। मेरी माता कोई समझौता नहीं करना चाहती थी और पृथक होने पर दृढ़ थी। एक रात बहुत दुखी हो कर मैं बहुत रोई और गुरुजी से सहायता की प्रार्थना की।

अगली सुबह मैं अपनी माता के पास तर्क करने गयी। कुछ तर्क-वितर्क के पश्चात मेरी माता समझौते के लिए तैयार हो गयी। अब मेरे माता, पिता और दादी सब साथ-साथ रहते हैं। मैं गुरुजी से प्रार्थना करती हूँ कि वह इन सब को खुश रखें।

जय गुरुजी

रेनू धीमान, एक भक्त

अगस्त 2015