मातृत्व और गुरुजी के लिए नि:स्वार्थ प्रेम का आशीर्वाद

श्वेता भट्टाचार्य, दिसंबर 2015 English
मई 2014 मेरे लिए बहुत कठिन था। मैं चार महीने के गर्भ से थी। सियाटिका के कारण मैं चलने में असमर्थ थी और एक बार पहले भी गर्भपात हो चुका था। मैंने गुरुजी के बारे में अपनी भाभी, उस के परिवार वालों और अपनी माता से सुना। यह सब सत्संग में जाना प्रारम्भ हो गए थे। मेरी इस में बिलकुल रुचि नहीं थी, परन्तु जब एक सत्संग मेरे घर के समीप हुआ तो मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि गुरुजी ने मुझे बगैर बताये यह सत्संग मेरे लिए ही आयोजित करवाया था। मेरे दिल से एक आवाज़ आई कि मुझे इस सत्संग में जाना चाहिये, और आज वही आवाज़ मुझे यह सत्संग लिखने के लिए प्रेरित कर रही है।

मेरी सियाटिका में तीव्र दर्द थी और सत्संग वाले दिन मुझे ठण्ड के कारण ज़ुकाम भी हो गया था। जब भी मुझे छींक आती, मुझे यही चिंता होती कि मेरे बच्चे का क्या होगा। उस दिन सत्संग में प्रसाद में आइसक्रीम दी गयी, जो मैंने खा ली। और मेरा विश्वास कीजिये कि जब सत्संग से बाहर आयी तो मेरी टाँगों में बिलकुल दर्द नहीं था और मेरा ज़ुकाम भी ठीक हो गया था। मुझे सत्संग के दौरान, गुलाब के फूलों की महक आती रही। पहले मुझे लगा कि यह महक सत्संग हॉल में रखे हुए गुलाब के फूलों की है, परन्तु बाद में मुझे इस का महत्त्व समझ आया: गुरुजी मुझे उस दिन आशीर्वाद दे रहे थे।

गर्भावस्था के दौरान मुझे अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परन्तु गुरुजी को सचमुच सदैव अपने साथ पाकर यह सब मुसीबतें लगभग शून्य हो गयीं। जैसे जैसे प्रसव का समय समीप आ रहा था, धूप अगरबत्ती की तरह की सुगंध सदैव मेरे चारों ओर रहने लगी। यहाँ तक कि जब मैं स्नानघर जाती तो वहाँ भी यह खुशबू मौजूद होती। यह खुशबू निरंतर दो-तीन दिन तब तक रही जब मुझे पेट में तीव्र दर्द के कारण पूर्ण आराम के लिए कहा गया था।

परीक्षण के पश्चात पता चला कि मुझे गर्भ के कारण मधुमेह का रोग हो गया था। परन्तु लगातार ग्लूकोस की जाँच मधुमेह रोग का खंडन कर रही थी। इसी कारण मुझे मधुमेह रोग की ना तो कोई औषधि ओर ना ही इन्सुलिन लेनी पड़ी। गुरुजी की कृपा अब स्पष्ट हो गयी। वहाँ पर धूप की खुशबू होना ही इस बात का प्रतीक था कि गुरुजी ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था और मुझे किसी बड़ी कठिनाई से बचा रहें थे।

वास्तव में मेरी प्रसव तिथि से पहले गुरुजी मेरे स्वप्न में भी आये। वह सम्मोहित कर रहे थे। उन्होंने मेरा अनुभव उन के साथ शेयर करने के लिए कहा "चल सत्संग सुना" उन्होंने मेरी आने वाली संतान लड़की होने के संकेत भी दिए। गुरुवार के दिन जो गुरु का ही दिन है, शिशु का जन्म हुआ।

प्रसव के पश्चात तीन माह तक मेरी बेटी ना तो दिन में और ना ही रात में सोती थी। एक दिन मैं गुरुजी के सामने केवल थकान के कारण रोई। उस दिन के पश्चात मेरी बच्ची रात को सोने लग गयी। अब मैं प्रार्थना करती हूँ कि गुरुजी मेरी बच्ची को भी अपनी संगत का एक अंश बना लें।

एक रात को मुझे बहुत बुरा स्वप्न आया। परन्तु गुरुजी ने कुछ बुरा होने से पहले ही उसे रोक दिया। जब मैं प्रातःकाल उठी तो मैंने अपनी खिड़की के शीशे पर "ओम नमः" लिखा देखा। यह दिव्य अक्षर आज भी वहाँ मौजूद हैं। कोई भी नकारात्मक शक्ति मेरे घर में प्रवेश नहीं कर सकती।

मेरी एक समस्या यह है कि मैं बहुत शीघ्र क्रोधित हो जाती हूँ। यह साधारण गुस्सा नहीं होता, यह उत्पात किस्म का होता है। हाल ही में मैंने सोशल साइट्स पर कुछ सन्देश पढ़े जिन का अभिप्राय यह था कि अगर हम क्रोधित होंगे तो हमें संगत में प्रवेश से रोक दिया जायेगा। मैंने इसे गुरुजी का सन्देश समझा और अपने गुस्से से भयभीत हो गयी।

आखिरकार मैं गुरुजी की परमप्रिय बच्ची बनना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि गुरुजी मुझे सब से अधिक प्रेम करें और सदैव अपनी संगत में रखें। मुझे विश्वास है कि गुरुजी मेरी सहायता अवश्य करेंगे। यद्यपि गुरुजी चाहते हैं कि मैं स्वयं अपने गुस्से पर काबू करने का प्रयत्न करूँ और बाकी का ध्यान गुरुजी रखेंगे। मैं जानती हूँ कि गुरुजी मेरे अंदर से मन का शुद्धिकरण कर रहे हैं। जितनी जल्दी इस की शुद्धि होगी, उतनी जल्दी मैं गुरुजी के हृदय के समीप पहुँचूंगी।

मेरे गुरुजी सदैव मेरे साथ रहते हैं। पिछले दिनों मेरी नौकरी में एक बहुत बड़ी समस्या आयी और मेरी नौकरी लगभग जाने वाली थी। यद्यपि मैंने स्वयं गुरुजी से प्रार्थना की, फिर भी मैंने अपनी माता को भी मेरे लिए प्रार्थना करने को कहा। स्थिति में बदलाव आया और मेरी नौकरी बच गयी। मैं अब समझ सकती हूँ कि अगर मेरी नौकरी चली भी जाती तो गुरुजी ने मेरे लिए कुछ इससे अच्छा ही सोच रखा होता।

पिछले दिनों मुझे स्वप्न आया कि मैं टैक्सी में जा रही हूँ और ड्राइवर मेरे साथ दुर्व्यवहार करने लगा। मैंने गुरुजी के नाम का जप करना आरम्भ कर दिया, और गुरुजी का स्वरूप टैक्सी में प्रकट हुआ। मुझे गुरुजी ने एक बार फिर बचा लिया था। जितनी ज्यादा मेरे मन की शुद्धि होगी, मुझे गुरुजी के उतने अधिक स्पष्ट और दिव्य दर्शन होंगे।

मई 2014 में गुरुजी के सत्संग में जाने के पश्चात मेरा हर दिन गुरुजी की दिव्य उपस्थिति से प्रभावित होने के कारण एक सत्संग बन जाता है। गुरुजी सर्वज्ञ हैं। उन्होंने मुझे उस समय बुलाया जब मैं बिखर रही थी। यदि आज मैं गुरुजी की शरण में नहीं होती, तो आज मेरे पास कुछ नहीं होता। मैं प्रत्येक वस्तु के लिए गुरुजी की आभारी हूँ: मेरी बच्ची, मेरे संबंध, मेरी नौकरी - सब कुछ।

गुरुजी मैं आप को नमन करती हूँ। लोग आप के चरण कमलों में रहना चाहतें हैं, परन्तु मेरी आप से प्रार्थना है कि मुझे आप कृपया अपने दिल में स्थान प्रदान करें। गुरुजी मुझे सबसे अधिक प्यार कीजिये। मैंने गुरुजी केवल आपका ही अनुसरण किया है। गुरुजी मुझे भक्ति दान, आस्था दान, प्यार दान और सेवा दान दीजिये। गुरुजी मैं आप के द्वारा सौंपी हुई सभी भूमिकाओं को सर्वोत्तम रूप से करना चाहती हूँ। मैं स्वार्थरहित सेवा भी करना चाहती हूँ। गुरुजी आप ही तय करते हैं कि मैं आप से कितना प्रेम कर सकती हूँ। मेरी आप से प्रार्थना है कि आप मुझे अधिकतम प्यार करने की अनुमति दें - बदले में बगैर किसी वस्तु की इच्छा के स्वार्थरहित प्रेम। मैं आप की दीवानी बनना चाहती हूँ। मैं आपके सब प्राणियों से प्रेम करना चाहती हूँ, बिना अपेक्षा किये कि वह प्राणी मेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं। मैं आप के लिए रोना चाहती हूँ, हँसना चाहती हूँ, नृत्य करना चाहती हूँ। आप के प्रेम के लिए रोना चाहती हूँ।

गुरुजी की महिमा के बारे में लिखना असंभव है। मैं सब भक्तों को केवल इतना बताना चाहती हूँ कि गुरुजी कितने सुंदर है और उनकी महिमा और कृपा कितनी अविश्वसनीय है।

गुरुजी, अनुकंपा प्रदान करने के लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करती हूँ। गुरुजी आप सदैव मुझे अपने हृदय में और मन में रखना। जय गुरुजी, सब गोबिंद, आपकी और केवल आपकी,

श्वेता भट्टाचार्य, एक भक्त

दिसंबर 2015