मैं 2.5 सालों से गर्भवती नहीं हो पा रही थी। फिर, एक जांच के दौरान, एक 5 किलो का ओवेरियन सिस्ट पाया गया। तुरन्त ही मेरा ऑपरेशन किया गया। मेरी बायीं ओवरी निकाल दी गयी और दायीं ओवरी को काटकर निकाला गया। अब मेरा गर्भवती होना नामुमकिन था।
मैं इस बात से अनजान थी कि मेरा भाई, आचार्य अमन गुलाटी - जो ज्योतिष शास्त्र जानता है, ने मेरे माता-पिता को बताया था कि मैं कभी माँ नहीं बन पाऊँगी। पर मुझे निराशा ना हो, इसलिए उसने यह बात मुझसे छुपाई थी। यहाँ तक कि, मेरे भाई ने मेरी जन्मपत्री अपने प्रोफेसरों को भी दिखाई थी; वे भी उसके विचार से सहमत थे। मेरे पति की कुण्डली से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह 'सर्प श्रापित' थे (उन पर सर्प का श्राप था)।
मैंने चार बार इंट्रा-यूटरिन इनसेमिनेशन (आई यू आई) कराया और हर बार परिणाम विफल गया। फिर, मैं गुरुजी से 10 जुलाई 1998 को मिली और मैंने उन्हें अपनी समस्या बतायी। पहले तो गुरुजी ने मुझे डाँट लगायी, यह कहते हुए कि उन्होंने "दुकान नहीं खोली है।" परन्तु, उसी शाम, जब मैं जा रही थी, उन्होंने मुझे कहा कि मेरा काम हो गया है और वह बोले : "कल्याण हो तेरा।"
दो महीने बाद, पिछले नौ महीनों से जो मेरी फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग हो रही थी, सामान्य थी। चमत्कारपूर्ण ढंग से और स्वाभाविक रूप से मैं गर्भवती हो गयी थी। प्रसव-वेदना के समय मैं गुरुजी से प्रार्थना कर रही थी और प्रसव से एक घंटा पहले मैं फ्रूटी पी रही थी! मुझे ना के बराबर दर्द हुआ। मेरी गर्भावस्था बिना किसी परेशानी के निकली; 3 मई 1999 को मेरा सामान्य प्रसव हुआ।
गुरुजी ने मेरा भाग्य बदल दिया और एक नन्ही लड़की देकर मुझे धन्य कर दिया। मेरे भाई के प्रोफेसरों जिनका विचार था कि मेरा माँ बनना नामुमकिन था, हैरान हुए और बोले कि इसमें गुरु कृपा स्पष्ट थी। दूसरे प्रोफेसर बोले यह 'स्पष्ट ईश्वरीय इनायत' का उदाहरण था।
नामकरण रस्म के अनुसार मेरी बेटी का नाम 'न' अक्षर से शुरू होना था। पर मैंने यह गुरुजी पर छोड़ दिया - मैंने यह उन्हें बताया तक नहीं कि बच्चे का नाम 'न' से रखना था। पर गुरुजी तो अन्तर्यामी हैं। उन्होंने मेरी बेटी का नाम नताशा रखा।
गुरुजी से मिलना मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा अनुभव रहा है।
सोनाली चंद्रा, एक भक्त
अप्रैल 2008