मैं अपने पति के साथ साल 1995 में ग्रेटर कैलाश में गुरूजी की शरण में आई। शादी के काफी सालों बाद तक भी हमें कोई संतान नहीं थी और हम बहुत दुःखी थे। किसी इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ था। जब हम वहाँ गए और संगत में बैठे हुए थे, गुरूजी अपने कमरे से बाहर आये और हमें अमृत दिया। हम संगत में पहली बार गए थे इसलिए अमृत की महत्ता और आध्यात्मिक शक्ति से अवगत नहीं थे। आज जब हम मुड़कर उस शाम के बारे में सोचते हैं तो बहुत भाग्यशाली महसूस करते हैं कि पहले ही दर्शन में हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
फिर गुरूजी ने हमें एक छोटा सा मौका दिया कुछ बोलने का। परन्तु इससे पहले कि मेरे पति पूरी तरह बता पाते कि हम क्यों आये हैं, गुरूजी बोले, "अगले साल।" यह सब अविश्वसवनीय लगता है - हर उस व्यक्ति को भी जो पहली बार गुरूजी के यहाँ आता है - कि गुरूजी के कहे हुए दो शब्दों से सारी परेशानियाँ खत्म हो जाती हैं, पर बिलकुल ऐसा ही हुआ। गुरूजी की कृपा से हमें अगले साल एक बेटा हुआ। निस्संदेह, चिकित्सकों के पास इसका कोई जवाब नहीं था और वे हैरान थे।
वास्तव में, गुरूजी की शरण में आने के बाद उनका आशीर्वाद हमेशा आपके साथ होता है; वही आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देते हैं।
बॉस की इच्छाओं के विरुद्ध, मेरे पति को अच्छी समालोचना (रिव्यू) मिली
साल 2002 में मेरे पति असम में पदस्थापित थे। उनके बॉस उन्हें परेशान कर रहे थे और उनकी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (ए. सी. आर.) खराब करने का विचार कर रहे थे। मेरे पति बहुत तनाव में थे और उन्होंने गुरूजी की तरफ रुख किया। 7 फरवरी को, सुबह के करीब 7 बजे, उन्होंने स्नान किया, कमरा अंदर से बंद कर दिया और बहुत उत्तेजना से गुरूजी से प्रार्थना की। गुरूजी ने संकेत दिया कि उन्होंने अपने भक्त की प्रार्थना सुन ली थी: कमरे में पंखा अचानक पूरी गति से घूमने लगा और पूरा कमरा गुरूजी की खुशबू से भर गया। स्पष्टतः रूप से गुरूजी ने मेरे पति को आश्वासन दिया कि यह परिस्थिति वह सम्भालेंगे।
आने वाले महीने में उनके बॉस का तबादला हो गया। नये वरिष्ठ अफसर ने, बिना किसी प्रबोधन के मेरे पति की ए. सी. आर. में सुधार किया।
एक साल बाद फिर से गुरूजी का कृपालु संरक्षण व्यक्त हुआ। 2003 में मैं श्रीनगर, कश्मीर में थी और जिस इमारत में हम रह रहे थे उसमें दो अन्य महिलायें रह रही थीं। वह दोनों मिलकर मेरे खिलाफ हो गयीं और मेरी ज़िन्दगी दयनीय कर दी। उनका ताने मारना और नकारात्मक व्यवहार मेरे लिए असहनीय हो गया था। हमारी ज़िन्दगी में जब भी कोई कठिनाई आती है, चाहे छोटी या बड़ी, गुरूजी ही हमारा परम सहारा होते हैं। इसलिए एक सुबह मैंने गुरूजी से प्रार्थना की।
उसी शाम, मेरे पति एक अच्छी खबर के साथ घर आए: उनके एक सहकर्मी का तबादला हो रहा था और अगले ही दिन वह दो महिलायें वहाँ से चली गईं।
दुर्घटना के मुकदमे में बहाल
मेरे पति दिल्ली की पटियाला कोर्ट में एक दुर्घटना मुकदमे का सामना कर रहे थे। वह मुकदमा व्यर्थ ही खिंचता चला जा रहा था और हर बार सुनवाई के लिए मेरे पति को असम से आना पड़ता। वह साल 2005 था और मेरे पति की जीविका की प्रगति के लिए यह आवश्यक था कि यह मुकदमा निपट जाए।
निर्धारित तारीख पर जब मेरे पति कोर्ट पहुँचे तो उन्होंने पाया कि उनका वकील अनुपस्थित था। मुकदमा अंतिम चरण पर था और मेरे पति को डर था कि वकील की अनुपस्थिति की वजह से न्यायाधीश आगे की तारीख दे देंगे। पर मेरे पति को हैरानी हुई जब न्यायाधीश ने उन्हें जाकर अपने वकील को ढूँढ़ने को कहा।
करीब आधे घंटे बाद न्यायाधीश फिर से आये। तब न्यायाधीश ने अपने सहायक को मेरे पति के पास भेजा और अपना फैसला सुनाया कि मेरे पति अब विमुक्त थे। ऐसा होना असंभव था - स्पष्ट रूप से इस में गुरूजी का हाथ था। उसी साल मेरे पति दिल्ली में पदस्थापित हुए। यह गुरूजी की कृपा से हुआ, क्योंकि उस समय उनके दिल्ली आने की कोई सम्भावना नहीं थी।
गाड़ी में भरा आशीर्वाद
साल 2005 में हमने नयी गाड़ी खरीदी और जयपुर जाते समय हम सुबह करीब 10 बजे एम्पायर एस्टेट में गुरूजी के मंदिर के आगे रुके। हमें परिचित थे कि क्योंकि संगत रात में ही होती है, उस समय गुरूजी के दर्शन होने की कोई सम्भावना नहीं थी। हमने बस गुरूजी के आशीर्वाद के लिए उनसे प्रार्थना की। करीब-करीब तत्क्षण, पूरी गाड़ी गुरूजी की सुगंध से भर गई। हम सब आनंदित हो गए !
गुरूजी के आशीर्वाद अनन्त हैं। बहुत सारी बाधाएं और परेशानियाँ आती हैं जो गुरूजी की कृपा से हमें छू तक नहीं पाती हैं और जिनके बारे में हमें पता तक नहीं चलता। यह उनकी कृपा है कि हम उनके चरण कमल में हैं और उनसे जुड़े हुए हैं। उन्होंने हमारा जीवन पूरी तरह से बदल दिया है और उसे बहुत सहज बना दिया है। हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे।
सुमन, एक भक्त
मार्च 2010